Blogs

  • Home
  • Blog
  • सतगुरू अर्हत द्वारा साधकों को साधना संबंधी दिशा-निर्देश
bed5TM2APcXvpkQOWEDBNirG7.jpeg


सतगुरू अर्हत द्वारा साधकों को साधना संबंधी दिशा-निर्देश

        कोई भी व्यक्ति को साधना में आगे बढ़ने के लिए मैंने साइंटिफिकली कई स्टेप्स बनाए है। आप लोगों के साथ शेयर करना चाहता हूँ। किसी को भी अगर चाहे वह कोई नया साधक है या पुराना सबके लिए है। ये बहुत ही साइंटिफिक है। उनको 12 स्टेप्स एक साथ लेकर चलना पड़ेगा, उनसे गुजरना पड़ेगा। ये स्टेप्स इस प्रकार हैः-

1.राइट फूडः- राइट फूड, अगर आपको निर्वाण तक पहुंचना है, महा परिनिर्वाण तक पहुंचना है तो राइट फूड लेना चाहिए। आहार अन्न सात्विक लेना पड़ेगा। राइट फूट का अर्थ है-सात्विक आहार क्योंकि अन्न से ही हमारा मन बनता है। हम जो आहार ग्रहण करते हैं, वही हमारा मन बनता है, इसीलिए आहार में सिद्धी होती है। हम किस प्रकार का आहार लेते हैं, वह आहार हमारे लिए औषधि भी है और औषधि से सिद्धी मिलती है, उस आहार से हमारा सात्विक चित्त डेवलप होता है, तो हम ब्रह्मांड के सात्विक आयाम के साथ जुड़ जाते हैं और जब उन आहार से सात्विक आयाम के साथ जुड़ते हैं, तब हमारी गति सात्विक दिशा की ओर होती है। इसीलिए राइट फूड लेना बहुत जरूरी है। राइट फूड अध्यात्म में, स्पिरिचुअलिटी में बहुत जरूरी है। 

2.राइट एक्सरसाइजः- उसके बाद राइट एक्सरसाइज। यह बहुत जरूरी है। राइट एक्सरसाइज को मैं एक शिशु से कनेक्ट करके समझाता हूँ- मां के पेट में जब बच्चा होता है तो बच्चा माँ की गर्भनाल, एम्ब्लिकल कॉर्ड से जुड़ा होता है। माँ जो आहार ग्रहण करती है, माँ की जैसी मानसिकता होती है, माँ जैसा आहार ग्रहण करती है, उसी तरह से बच्चे का गर्भ में विकास होता है, ग्रोथ होता है। बच्चे के अंग भी माँ के आहार से विकसित होते है। सब कुछ वृद्धि होती है। 

माँ के पेट से ले रहा है आहार भी ले रहा है और माँ के पेट में एक्सरसाइज भी करता है। पेट में बच्चे की एक्सरसाइज स्टार्ट रहती है। जन्म के बाद, बाहर आने के बाद, वह शिशु क्या करता है, ज्ञान लेना स्टार्ट नहीं करता है, पैदा होने के बाद भी वो आहार लेता है, दूध पीता है और उसका एक्सरसाइज जारी रहता है। 

अगर कोई माता राक्षसी भोजन कर रही है तो उसका दूध भी उसी प्रकार से बनकर शिशु के अंदर जा रहा है। और शिशु को देखकर बताया जा सकता है कि इसकी पूर्व जन्म की यात्रा से जो आ रहा है, उसके हाव भाव को देखकर कि इसके अंदर में कुछ चीजें जो अभी साइलेंट है, स्लीपिंग स्टेट में है क्योंकि उसके अंग इतने अभी डेवलप नहीं हुए हैं, उन चीजों को एक्सप्रेस करने के लिए तो उसके अंदर यह साइलेंट स्टेट में है वह है उसके चित्त में क्योंकि जब बच्चे को आप देखेंगे, कई छोटे-छोटे बच्चों को, कोई-कोई बच्चा हंसता हैं, आपने देखा, कोई-कोई रोते हैं, कोई-कोई बच्चे बहुत परेशान करके रखते हैं अपने घर वालों को, कोई रोते रहते हैं, बीमार पड़ते रहते हैं, अलग-अलग बॉडी का पोस्चर्स बनाते हैं। योग के पोस्चर्स बनाते हैं। कोई-कोई बच्चे दिव्य स्वरूप लगते हैं, हंसते हैं, अलग टाइप से हंसते रहते हैं, कम रोते हैं।

  वो एक्चुअली अभी तुरंत, इमीडिएट जिस जगत से आए हैं, उस जगत के साथ उनकी कनेक्शन बनी हुई है, उनके साथ वो बातचीत करते हैं। वहाँ की मेमोरीज उनके पास आती है, वे देखते हैं, बात करते हैं, उन चीजों का प्रभाव इस शरीर पर पड़ता है; जैसे आप स्वप्न देखते हैं तो स्वप्न का प्रभाव आपके स्थूल शरीर पर पड़ता है। कोई भी स्वप्न आप देखें, दिल धड़कने लगता है, कंपने लगते है ब्रेन में घटित हुआ है। जब आपको पता है कि यह रियलिटी नहीं है, स्वप्न है, यह ब्रेन के अंदर चल रहा है। मेडिकल साइंस भी कहती है कि आपके ब्रेन को यानी कि माइंड को पता नहीं है, द माइंड एण्ड द ब्रेन डजण्ट डिफरेंस बिटविन व्हॉट इज द रियलिटी एंड इमेजिनेशन। 

  ये स्वप्न चल रहा है लेकिन ब्रेन उसको सत्य मान रहा है जिसकी वजह से पूरा शरीर कंप रहा है, वो डर गया, उसका हार्ट कांप रहा है, कुछ भी घटित हो जाता है जबकि रियलिटी नहीं है। तो कुछ चीजें हमें पता नहीं रहता है, तो हमें लगता है, सब कुछ यही है। लेकिन ऐसी बात नहीं है। बच्चों का आप अध्ययन करेंगे तो आपको पता चल जाएगा। हर चीज को नोटिस करना चाहिए, छोटी से छोटी चीजों को।  प्रकृति को समझना है। पहले के ऋषि मुनियों ने इसे ऑब्जर्व किया। 

3.ब्रह्म मुहूर्त- मैंने बहुत गहराई से ऑब्जर्व किया तो मुझे यह पता चला कि ब्रह्म मुहूर्त क्यों बनाया गया है। यह समय जो है वह अलग समय होता है। जो भी ब्रह्म मुहूर्त में उठना स्टार्ट कर देता है, ब्रह्म मुहूर्त में अलग-अलग भावनाएँ, अलग-अलग थॉट्स, अलग-अलग डायमेंशन के साथ आप कनेक्ट होते है। आप ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएंगे और उठकर उस ऊर्जा को आप कोई काम में, साधना में, तप में, पढ़ाई-लिखाई में लगा देंगे, जल्दी सवेरे तीन से पाँच या छः बजे के अंदर तो आप जिंदगी में बहुत ऊर्जावान, जीवंत, शक्तिशाली, प्रभावशाली बन जाएंगे। शारीरिक तल पर, द्वैत की दुनिया में कह रहा हूँ। इस समय में आप उठेंगे तो ये समय स्वप्न का भी समय होता है, स्वप्न-दोष का भी समय होता है और ऑटोमेटिक एजेकुलेशन, वीर्य स्खलन का भी समय होता है। बहुत पुरुषों के अंदर में ये समस्याएँ होती है। राईट फूड और राईट एक्सरसाइज से हमने उस ऊर्जा को चांस ही नहीं दिया, स्खलन का। उस शक्ति को हमने ट्रांसफर कर दिया, अलग दिशाओं में। जो पुरुष एडिक्ट हो जाते हैं, मास्टरबेशन हस्तमैथुन को लेकर, लड़कियों के पीछे भागते है, दिमाग को उधर उन चीजों में हमने जाने ही नहीं देंगे, सबकॉन्शियस-अवचेतन मन में प्रोग्रामिंग होगी ही नहीं। जैसे-जैसे वह बड़ा होगा, सबके साथ रहेगा लेकिन उसके अंदर में ये मानसिक समस्याएं नहीं रहेगी। भले वह किसी स्त्री के साथ रहे, किसी पुरुष के साथ रहे लेकिन वह एक अलग आयाम के साथ कनेक्ट रहेगा। पुरुष और स्त्री में भेद नहीं कर पाएगा, वह ऊर्जावान है, शक्तिमान है लेकिन उसका नियंत्रण उसके हाथ में है क्योंकि यह चीज उस पर हावी नहीं होगी। बल्कि हम उन चीजों पर उस ऊर्जा का सदुपयोग करेंगे; जैसे कोई घोड़ा गाड़ी है, यदि घोड़ा आपके नियंत्रण में नहीं है तो कहीं भी आपको दौड़ा देगा, आपको गड्ढे में खड्डे में गिरा देगा। लेकिन घोड़े की लगाम आपके नियंत्रण में है तो आप घोड़े को अपने तरीके से चला सकते हैं। इसी तरह से, यह एनर्जी जब आपके नियंत्रण में आ जाती है तो आप तेजस्वी, तेज बुद्धि वाले, पॉवरफुल, शक्तिशाली बन जाते है और हर काम को बहुत आसान तरीके से कर सकते है और किसी भी काम का रिजल्ट्स यानी कि आउटकम्स को अंजाम अच्छा दे सकते है।

ये सारी चीजें बहुत साइंटिफिक है जोकि लोग भूल चुके हैं और सीक्वेंस को छोड़ दिए हैं और आज बहुत विश्रृंखला तरीके से हमारे समाज में हर चीजें चल रही है। श्रृंखला बंद नहीं विश्रृंखला हो गई।

तो मैं आपको यह बता रहा था कि राइट फूड, राइट एक्सरसाइज। कोई भी बेबी को एक्सरसाइज करते, हाथ पैर मारने, चलने का, छोटे एक साल, दो साल, डेढ़ साल के बच्चे को देखो, उसकी बॉडी लैंग्वेज से आपको उसके चित्त की अंदर की दशा पता चल जाएगा। अब हम इससे पता कर सकते हैं कि बच्चा जो फॉरवर्ड होकर आया उसकी दशा का हम पता करें कि अभी से, वर्तमान में हमें कहां जाना है, किस ओर जाना है, किस प्रकार की एक्सरसाइज करना है, इसका डिसीजन हम ले सकते हैं।

तो खाना सुधार कर दिया, राइट फूड लिया, सात्विक खाना लेना स्टार्ट कर दिया एंड राइट एक्सरसाइज, राइट एक्सरसाइज का मतलब है सात्विक एक्सरसाइज। सात्विक एक्सरसाइज भी होती हैं, एक्सरसाइज तो बहुत प्रकार की हैं समाज में लेकिन तामसिक एक्सरसाइज करेंगे तो आपके अंदर में तामसिक इमोशंस और फीलिंग्स आयेंगे, तामसिक विचार आयेंगे तो आप तामसिक एक्शंस लेंगे। तामसिक तो जड़ता है, आप राजसिक पकड़ लीजिए। राजसिक एक्सरसाइज करेंगे तो बॉडी बिल्डर बनने पर आपका ध्यान चला जाएगा, मुझे मेडल लेना है, फिट रहना है, इस प्रकार से आपका अंदर से हेल्थी होने पर ज्यादा ध्यान तो नहीं रहेगा लेकिन आप शो-ऑफ में ज्यादा चले जाएंगे। आपको अपके शरीर को दिखाकर नाचना है, गाना है, अट्रैक्ट करना है, आकर्षित करना है लोगों को, समाज में बन-ठन कर जाना है, ये सब राजसिक वृति वाले होते है। वह राजसिक वृति ही बन-ठन रहा है; जैसे कहा जाता ना कि औरतों के अंदर लाली कौन लगा रही है, शृंगार कौन कर रही है, तो वह ‘रती‘ कर रही है। एक-एक एलिमेंट का अध्ययन किया गया है, आज जो शून्य में चला जाता है, वही अध्ययन कर पाता है कि मेरे शरीर के अंदर कौन-कौन सी फैकल्टी जागृत है। कौनसी फैकल्टी क्या काम कर रही हैं? साक्षात्कार करेगा कि मेरे अंदर में कौन है, जो संवर रहा है, सज रहा है, जग रहा है, क्यों कर रहा है? तो यह हो गया राजसिक एक्सरसाइज। अब सात्विक एक्सरसाइज में क्या आ सकता है, तो योगा आ सकता है, डांस भी आ सकता है। अब डांस कैसे आएगा? बहुत सारे ऐसे नृत्य है जिसमें हम बहुत मुद्राएं बनाते हैं, बहुत प्रकार के डांस होते है तो इस प्रकार से आपको डांस मिलेंगे कि जब जब आप नाच रहे होंगे उस वक्त आपको ऐसा महसूस होगा कि मैं एक अलग ही एनर्जी के डायमेंशन से कनेक्ट हो रहा हूँ। आपके अंदर की फीलिंग, इमोशंस, विचार एनर्जी एक सात्विक डायमेंशन के साथ नाचने के वजह से, ऊर्जा के लेवल पर, फ्रीक्वेंसी, वाइब्रेशन के लेवल पर कनेक्ट हो जाएंगे और उससे भी गति मिलती है आपको।

इसी प्रकार कॉन्शियस वॉक हो सकता है, कॉन्शियस वाक का मतलब है जब आप चल रहे हैं तो प्रत्येक कदम पर आपका ध्यान है। अवेयर होकर वॉक कर रहे हैं तो यह भी एक सात्विक लेवल की एक्सरसाइज है और ध्यान भी बन सकता है।

तो डांस भी सात्विक है, राजसिक वाला आपको पता ही है, मुझे कहने की जरूरत नहीं है। फेसबुक खोलेंगे तो देखेंगे किस प्रकार राजसिक डांस, फुल नग्न, अर्ध नग्न होकर नाच रहे हैं लोग, कैसे-कैसे पोस्चर बना रहे हैं। इससे साफ दिखता है कि इनके पोस्चर्स क्या इंडिकेट कर रहे है? छोटी-छोटी बच्चियां नाचती है, बच्चे भी नाचते हैं इससे पता चलता है कि इरोटिक, कामुक डांस है, इरोटिक लैंग्वेज है, सेक्सुअल इंडिकेशन है। ये हम क्या कर रहे हैं? हो सकता है आपकी बच्ची ही डांस कर रही है, लेकिन उसकी चित्त की दशा आपको दिखे ना दिखे मुझे तो दिखता है। ये बड़े होकर क्या करने वाले है? क्या धूम मचाने वाले है? क्योंकि वे चित्त के दास है।

वहीं पर कोई यदि सात्विक नाच रही है, उसके नाच में दिव्यता है, उसका नाच देखकर आपके अंदर में पॉजिटिविटी आ रहा है, उसका नाच देखकर आपके अंदर में प्रेम फूट रहा है, उसका नाच देखकर आप में शक्ति महसूस हो रहा है, प्रेरणा आ रही है, एक अलग डायमेंशन की एनर्जी आ रही है, तो इस प्रकार के सात्विक डांस भी है, एक्सरसाइज भी है, बॉडी पोस्चर भी है। तो सात्विक होना चाहिए। 

4.राइट नॉलेजः- सही ज्ञान का सेवन करना भी जरूरी है। अब राइट नॉलेज का मतलब क्या? नॉलेज दो प्रकार के होते है, एक है हमारा सेंसुअल नॉलेज यानी कि भौतिकी नॉलेज, मेटेरियल नॉलेज। भौतिक जगत के विज्ञान को समझना है तो सेंसुअल नॉलेज भी चाहिए, क्यों? क्योंकि भौतिक शरीर है आपके पास। तो भौतिक के नियम को जितना समझेंगे, मटेरियल नॉलेज लेंगे। यह लेना ही पड़ेगा। पढ़ाई-लिखाई भी इंद्रियों से, फाइव नॉलेज ऑर्गन्स के द्वारा हमें एकत्रित करना होता है। एक होता है मेटाफोरिकल नॉलेज, मेटाफोरिकल नॉलेज यानी कि आध्यात्मिक ज्ञान। यह दोनों ज्ञान हमें लेना चाहिए।  राइट संयोजन होना चाहिए, अंदर में। अगर हम राजसिक, तामसिक ज्ञान से भरेंगे तो उन्ही दिशा में चले जाएंगे क्योंकि उसी प्रकार का हमारा चित्त बन जाएगा और जिस प्रकार का नॉलेज भरते हैं उसी प्रकार के हमारे विचार, बिलीव-सिस्टम बन जाते हैं और हम अपने जीवन में उन्ही दुकानों में, उन्ही लोगों के पास, उसी प्रकार के फिल्म देखने लग जाते हैं। इसी प्रकार अगर राजसिक की बात करें तो राजसिक दुनिया में। राजसिक वाले कभी भी ध्यान, मेडिटेशन मुक्ति की बात नहीं करते हैं। उनको चाहिए प्रसिद्धि, ख्याति, प्रतिष्ठा, पॉवर, पोजीशनल पॉवर ये चाहिए उनको। उनके बहुत सारे ड्रीम्स होते हैं। उनको उन्हें पूरा करना होता है। उनकी इच्छाओं को तृप्त करना है। इंद्रिय सुख के पीछे भागते हैं और इन लोगों को लगता है कि आप इनके इंद्रिय सुख में बाधक हो तो इंद्रिय सुखों के लिए आपको अपने रास्ता से हटा सकते हैं, मार सकते हैं, मर्डर भी कर सकते हैं, काट भी सकते हैं, किसी भी हद तक जा सकते हैं। क्योंकि आप उनके सपने की राह का रोड़ा बन रही हो। तो हमें नॉलेज को भी देखना है तो राइट नॉलेज हमें फिट करना चाहिए। नॉलेज में राइट परसेप्शन भी आता है, जो हम रिसीव करते हैं।

5.राइट स्पीचः- उसके बाद आता है राइट स्पीच। स्पीच भी राइट होनी चाहिए। हम जो बोलते हैं, आज नहीं तो कल वह हमारी जिंदगी में घटित होना शुरू हो जाता है। क्योंकि शब्द अपने आप में शक्ति है, वर्ड्स आर पॉवर। प्रत्येक शब्द में एक इलेक्ट्रिकल सिग्नल होता है, वाइब्रेशन होता है जो कि ब्रह्मांड के साथ कम्युनिकेट करता है। जो शब्द शब्द आप बोलते हैं उसी प्रकार से आपका जीवन धीरे-धीरे शेप ले लेता है। इसलिए सोच समझकर हमें बोलना चाहिए। आप नकारात्मक शब्द बोलते हैं, नकारात्मक लैंग्वेज यूज करते रहते हैं, राइट स्पीच नहीं है, आपकी वाणी शुद्ध नहीं है तो आप उसी दिशा में जाएंगे क्योंकि प्रकृति भी मजबूर है, ब्रह्मांड भी मजबूर है, आपको उसी दिशा में लेकर जाने के लिए। इसलिए हमारी स्पीच भी राइट होनी चाहिए।

6.राइट एक्शनः- उसके बाद राइट एक्शन, राइट कर्म। कर्म तो बहुत सारे लोग करते हैं लेकिन सही कर्म भी हमें करना पड़ेगा। राइट कर्मा सात्विक कर्मा।

7.राइट लिविंगः- इसके बाद राइट लिविंग। जीवन निर्वाह के लिए भी, जीवन उपार्जन के लिए, हमारे कमाने का तरीका भी सही होना पड़ेगा। लूटमार, दारू, शराब, मछली, मीट ऐसी चीजों को आप बेचकर अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं तो आप क्या सोचते हैं उसका प्रभाव आपके परिवार पर नहीं पड़ने वाला है! जबरदस्त पड़ने वाला है, यहां तक कि आप कोई भी चोरी का सामान, उन्हें चुराकर लाएंगे, चावल ही चुरा कर लाएंगे, उसका खाना बनाकर खाएंगे तो उसका प्रभाव भी पड़ता है, क्वांटम वर्ल्ड में। इसके पीछे कितनी ही कहानियां है। साधु-महात्मा भोजन हर जगह नहीं खाते हैं। क्योकि पता नहीं कैसा भोजन हो? साधना स्थल में भी हो तो भी मना कर देते है क्योंकि वह भोजन कहाँ से लाये है, किस प्रकार से कमा के लाये है, बेईमानी करके लाये है या ईमानदारी से कमा कर लाये है?

क्योंकि ईमानदारी का भोजन सचेत होता है, उसे खाकर भीतर पता चलता है। ईमानदारी का नहीं होगा, चोरी-बेमानी का होगा तो उसके अंदर वह भोजन भी प्रतिबिंबित होने लगता है। पता चल जाता है कि यह भोजन सही जगह से नहीं आया, जिस इंसान ने बनाया और जहां से कमा के लाया, वह गलत दिशा से है, यहां तक पता करते है महात्मा-गण। और खोज बान भी करते है कि ऐसा क्यों हुआ। 

तो राइट लिविंग होना चाहिए। हमारा जीविका उपार्जन सही होना चाहिए। कम कमाएं कोई बात नहीं है। आपको बहुत संग्रह करने की जरूरत नहीं है। बहुत लोग संग्रह करते हैं लेकिन भोग नहीं पाते है। उसके पहले ही चले जाते। इसलिए आज में रहे, हर रोज आपके सामने अवसर आ रहा है, देव योग से जो कुछ भी प्राप्त हो, उसे खाकर संतुष्ट हो जाइए। ज्ञानी लोगों को देवयोग से जो भी मिल जाता है, नमस्कार करते हैं प्रकृति को, ग्रहण करते है और बस आगे चलते रहते हैं। अगर ईश्वर ने, प्रकृति ने ढ़ेर सारा दे दिया तो उसे भी रखिए फिर उसे अच्छे कामों में लगा दीजिए। 

8.राइट साधनाः- मैं अध्यात्म का मार्ग बता रहा हूँ, द पाथ टू स्पिरिचुअल इनलाइटनमेंट। अध्यात्म में उतरने के लिए आपकी साधना भी राइट चाहिए। गलत-गलत साधना करेंगे भी तो नहीं पहुंच पाएंगे। अब साधना में क्या-क्या आएगा? साधना में मंत्र आ सकता है, जप आ सकता है, कीर्तन आ सकता है, भजन आ सकता है, योग आ सकता है, ध्यान-प्राणायाम सारी तमाम चीजें आ सकती है। साधना भी तीन प्रकार की होती है-सात्विक साधना, राजसिक साधना और तामसिक साधना। 

तंत्र में जाएंगे, तो वहां ढेर सारी तामसिक साधनाएँ करवाई जाती है। तामसिक मंत्र भी है, राजसिक मंत्र भी है। तो हमें उधर नहीं जाना, हमारी साधना भी सात्विक होनी चाहिए। यह साइंस है, कोई भी व्यक्ति इस श्रृंखला को पकड़ लेगा तो अपने आप पहुंच जाएगा। 

9.राइट वैराग्यः- राइट साधना के बाद आपने राइट वैराग्य आना पड़ेगा। आप मुझसे झूठ नहीं बोल सकते। राइट वैराग्य आना पड़ेगा। वैराग्य का मतलब है कि इस ब्रह्मांड में कोई ऐसी वस्तु नहीं है जो आपको खींचती है प्राप्त करने के लिए। प्रत्येक वस्तु से आपका वैराग्य हो चुका है। खिंचाव महसूस नहीं कर रहे आप। कहीं कुछ सार नहीं दिख रहा है। ऐसा लगता है कि मैं संसार छोड़ दूँ, मैं मर जाऊँ, कुछ नहीं है, सब निरर्थक है, सब यूजलेस है। यह ऐसे ही नहीं आता है राइट वैराग्य। बिना वैराग्य के आत्म ज्ञान कभी घटित नहीं हो सकता है, याद रखना। 

10.राइट निरोधः- वैराग्य के बाद में राइट की अवस्था आएगी। राइट निरोध जैसे ही हो जाता है, निरोध में सत्, रजस्, तमस का निरोध हो जाता है तो आपके अंदर में राइट लयबद्धता आती है। लयबद्ध यानी कि सहज स्थिति आ जाती है, सिंपलीसिटी। यह सहज समाधि की स्थिति होती है यानी कि समाधि घट गई। आप समावेश हो गए। इस स्टेज पर निर्विकल्प समाधि लग सकती  है,  किसी  भी  प्रकार  की 

समाधि लग सकती है जब आप लय बध हो जाते है।

11.राइट जीवन मुक्तिः- राइट लयबद्ध के बाद में राईट जीवन मुक्ति। राइट मुक्ति अर्थात् जीते जी आपने मुक्ति को पा लिया। जीते जी मुक्त हो गए। जीते जी परमात्मा को आपने जान लिया या परमात्मा स्वरूप हो गए या उसके साथ मर्ज हो गए। राइट सही होना, भ्रम वाला नहीं। 

12.राइट विदेह मुक्तिः- राइट जीवन मुक्ति के बाद द लॉस्ट स्टेज इज राइट विदेह मुक्ति यानी कि महा-परिनिर्वाण, महासमाधि। अंत में सही तरीके से, सहस्रार से निकला। अचानक से कहीं एक्सीडेंट हो गया और गलती से प्राण कहीं और से निकल गया तो मुश्किल है। क्योंकि यदि आप द्वार सहस्त्रार खुल चुका हे तो यहीं से, अंतिम समय में निकलना पड़ेगा। 

आपके अंतिम समय के ठीक नौ महीने पहले से आपको इंडिकेशन मिलने लग जायेंगे और बीच-बीच में आपका सांस उल्टा चलने लग जायेगा। यह ट्रेलर है, समझ जाइए कि आपकी मृत्यु नजदीक आ रही है। कभी-कभी बहुत ज्यादा ध्यान करेंगे तो भी सांस उल्टा चलने लग जाती है। लेकिन आप उसी उल्टी सांस में ज्यादा रहेंगे तो आप समझ लीजिए कि नौ महीना, एक साल के अंदर ये कभी भी घटित हो सकता है। तो इस प्रकार से सांस उल्टा चलने लग जाएगा जब भी वह समय आएगा, निकलने का।

पंच वायु होती है, प्राण वायु ही अपने आप को पाँच जगहों में विभक्त किया हुआ है। अंत समय में, इन पांच वायु में से एक-एक वायु धीरे-धीरे निकलने लग जाता है। उसका टाइम एंड ड्यूरेशन भी होता है। आपने देखा होगा, डॉक्टर डिक्लेयर कर देते हैं कि यह मर गया है, ब्रेन डेथ। लेकिन फिर भी उसका दिल धड़कते रहता है। तो जब भी अध्यात्म में कहा जाता है गति है, कहीं मूवमेंट है, पूरे ब्रह्मांड में या आपके शरीर में, तो वह मूवमेंट वायु के कारण ही होता है; जैसे अपान वायु का काम है कमर से नीचे का, समान वायु पेट से ऊपर काम करती है। व्यान वायु पूरे शरीर में फैली होती है। उदान वायु गर्दन से सिर तक और प्राण वायु यहां से लेकर यहां प्रोसेस होती है। अंतिम समय में जब प्राण वायु निकलते है तो उदान वायु उदान वायु के साथ उड़ान होता है जीव का और जीव का शरीर में रहने की मुख्य वजह है यह वायु। यह वायु ही सेतु है। यह वायु ही प्राण है। प्राण के आवागमन के कारण से ही जीव अभी अंदर है। प्राण निकल गया तो जीव नहीं रह सकता। शरीर का कोई सिस्टम खराब हो गया, चलने वाला नहीं है तो वह जीव भी नहीं रहेगा, प्राण भी निकल जाएंगे। और अंत में, पूरे शरीर में जो वायु फैली हुई है, व्यान वायु वही निकलती है। धीरे-धीरे डिजॉल हो जाती है।

यह शरीर कई चीजों के जोड़ से चल रहा है। जीव, प्राण, पंच वायु, पंच महाभूत, ज्यादा डीप नहीं जाएंगे पंचतन्मात्राएँ फिर मन, बुद्धि, अहंकार और इंद्रियाँ इन सबके जोड़ से चल रहा है। और सब चीजें फिर अपने-अपने बैक चली जाती है; जैसे ये सब निकला तो आपका यह जो शरीर है जिसे मैं कह रहे हो, ये फिर अपने कारणों में विलीन हो जाएगा। पंच तत्वों में फिर से चला जाता है। लेकिन स्थूल शरीर गया, सूक्ष्म शरीर के साथ, वह सूक्ष्म शरीर ही जीव है, वह जीव उदान वायु के साथ सफर में निकल जाता है। तो राइट विदेह मुक्ति में ये नहीं होती है। राइट जीवन मुक्ति में, सूक्ष्म शरीर जब निर्वाण को प्राप्त होता है तो वह सूक्ष्म शरीर जो सिकुड़ा हुआ है जो अंदर ही महसूस कर रहा है, हव इतना फैल कर इतना विराट हो जाता है कि जीते जी, उसको विराट कर लेता है। वह छोटा भी, बड़ा भी, कुछ भी कर सकता है। वह हजारों सूक्ष्म शरीर कर सकता है, यहां से अपनी ऊर्जा कहीं भी जाकर किसी को इनिशिएट भी कर सकता है। ये द्वैत में चलता रहता है। यह प्रकृति की अपनी दक्षता है। प्रकृति का विान है। तो यह जीवन मुक्ति होता है।

लेकिन राइट विदेह मुक्ति में, अंत में, निकलना जब होगा तो योगी श्वांस को रोककर प्राण वायु को आराम से, पूरी कन्शियसली, होश-पूर्वक सहस्त्रार से निकालेगा। यह है राइट महापरीनिर्वाण। सहस्त्रार से जो कन्शियसली निकलेगा, वह ब्रह्म में पूरी तरह से लीन हो जाता है। एक जो चिंगारी बची थी वो भी बुझ गई। अब कोई प्रश्न ही नहीं बचा। सब खत्म हो गया।

जितने सार मैंने स्टेप्स बताये, ये हमारे मार्ग के स्टेप्स है। हमने तैयार किये है। इस मार्ग से यदि कोई भी चलता है तो ऑटोमेटिक वह इसी में फिट हो जाएगा। अन्न में इतनी शक्ति है। और इसमें हम आगे जाकर डेवलप करने वाले हैं अन्न में भी कौन से मुख्य अन्न होते हैं जिनको लेने से हमारी साधना में और तेज गति मिले और कौनसे म्यूजिक होते हैं, साउंड्स होते हैं, ध्वनि होती है, संगीत होते हैं। 

ये सारी चीजें हम 108 आयामों के साथ बनाने वाले है ताकि जो भी लोग आएंगे, इसमें फिट होंगे, नेचुरली वो उसी में चले जाएंगे और जब हम यहां से ठीक हो जाते हैं तो समाज और कुछ नहीं, हमारी ही इंटरनल वर्ल्ड के एक्सटर्नल रिफ्लेक्शन है। हमारे यहां बदलाव हो जाएगा तो समाज की हर चीज बदल जाएगी। धन्यवाद।


Leave a Comment

300 characters remaining