अगर आज आप बदलने को तैयार नहीं है
तो आपके जीवन में भी बदलाव होने वाला नहीं है।
यदि आप स्पिरिचुअल प्रैक्टिस करने के
लिए,
ध्यान करने के
लिए, योग करने के
लिए, प्राणायाम करने के
लिए नई आदतें बनाते हैं, तो ये
आदतों आपको धीरे-धीरे निम्न स्तर के
कॉन्शसनेस से हायर स्टेट कॉन्शसनेस तक लेकर जाएंगी। इन अच्छी आदतां के सहारे जब एक दिन हम प्योर हायर स्टेट ऑफ दी
कॉन्शसनेस तक पहुंच जाते हैं तो
अंत में, ये
सारी आदतें भी विलुप्त हो जाती है।
यदि आपकी वर्तमान हैबिट्स ऐसी हैं जो आपको जिंदगी में आगे नही बढ़ने दे रही है तो डेफिनेटली आपको नई हैबिट्स तो बनानी ही पड़ेंगी जो आपको स्पिरिचुअल साधना यानी की आध्यात्मिक साधना में स्पिरिचुअल प्रैक्टिस में आगे बढ़ाएंगी।
ध्यान से समझिएगा मेरी बातों को। मेरी बातें किताबी बातें होती नहीं है। चेंज मैक्स चेंज यानी कि बदलाव ही बदलाव लाता है। अगर आज आप अपने आप को बदलने के लिए तैयार नहीं है यानी आप अपने वर्तमान हैबिट्स को यानी कि आदतों को बदलने के लिए आप तैयार नहीं हैं तो आपके जीवन में भी कोई बदलाव नहीं होने वाला है। अगर आप आज दारू पीते हैं और दारू पीने की आपके अंदर वृत्ति है, आदत बन गई है तो इन आदतों को अगर आप नहीं बदलते हैं तो कल भी आपके जीवन में कुछ बदलाव होने वाला नहीं है और कल आप और ज्यादा ही दारू पियेंगे।
अगर आप अपने जीवन में कुछ प्रगति चाहते हैं, चाहते हैं कि मैं आगे बढूं, चाहे वह सामाजिक क्षेत्र हो या आध्यात्मिक क्षेत्र हो या आर्थिक क्षेत्र हो अथवा आपका कोई व्यक्तिगत क्षेत्र हो, किसी भी क्षेत्र में यदि आप फ्रूटफुल आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपको अपनी वर्तमान की आदतों को बदलना ही पड़ेगा। आप अगर चाहते हैं कि एक दिन मैं आत्मानुभूति भी करूं, मैं एक दिन सत्य को जानूं और जीवन को बेहतरीन तरीके से, पूर्ण आनंद भरा एक-एक क्षण बिताऊं, तो आपको वर्तमान की आदतों को बदलना पड़ेगा और संकल्प शक्ति से नई और दैवीय गुणों वाली आदतें विकसित करनी पड़ेंगी।
अब यहां पर एक बहुत बड़ी बात है, जैसे आप अपनी कोई भी पुरानी हैबिट को बदलेंगे तो अपने आप वहां पर एक नई आदत रिप्लेस हो जाएगी; क्योंकि यह प्रकृति का नियम है। यह प्रकृति का नियम है कि कोई भी एक चीज अगर खाली हो जाए तो दूसरी कोई और चीजों से वह भर जाएगी। इसी प्रकार से प्रकृति काम करती है।
अपने अंदर की कमियों को दूर करने के लिए प्रकृति हमारी पूर्ण रूप से सहायता तो करती ही करती है, साथ ही साथ जिन चीजों का अभाव है, उन अभावों को प्रकृति अपने आप पूरा कर देती है। प्रकृति का स्वभाव है कि वह अभाव को अपने आप भर देगी, पूरा कर देगी। प्रकृति का नियम ऐसा ही है। प्रकृति में बहुत सारी चीजें हैं। प्रत्येक चीज, जो आपके जीवन में घट रही है ना, वे सभी प्रकृति की ही केलकुलेशन्स हैं। प्रकृति का ही मैनेजमेण्ट है। इसी को कुछ लोग भगवान कहते हैं।
यदि आप स्पिरिचुअल प्रैक्टिस करने के लिए, ध्यान करने के लिए, योग करने के लिए, प्राणायाम करने के लिए नई आदतें बनाते हैं, तो यह आपको धीरे-धीरे निम्न स्तर के कॉन्शसनेस से हायर स्टेट कॉन्शसनेस तक लेकर जाएंगी। इन अच्छी आदतां के सहारे जब एक दिन आप प्योर हायर स्टेट ऑफ दी कॉन्शसनेस तक पहुंच जाते हैं तो अंत में, ये सारी आदतें भी विलुप्त हो जाती हैं, खत्म हो जाती हैं।
जैसे आपको एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए व्हीकल्स की आवश्यकता रहती है, इसी प्रकार गुड हैबिट्स वे व्हीकल्स हैं जो आपको गन्तव्य तक ले जाती है और लुप्त हो जाती है, जब हम प्योर हायर स्टेट कॉन्शसनेस तक पहुंचते हैं। जैसे हम एक स्टेज पर व्हीकल को भी छोड़ देते हैं, इसी प्रकार से हम इन सब आदतों को एक जगह पर जाकर छोड़ जाते हैं, जब फुल अवेयरनेस आ जाती
है, द फुल अवेयरनेस परफोर्म्ड इनसाइड एण्ड अंडरस्टैंडिंग और विजडम, हू टेक्स यू टू द हायर स्टेट ऑफ कॉन्शसनेस। तो ये आदतें बाद में छूट जाती हैं।
आध्यात्मिक प्रगति के लिए
नई आदतें कैसे विकसित करें?
पहली बात तो यह है कि न्यू हैबिट्स को अडॉप्ट करने के लिए, कोई काम करने के लिए हमारे ब्रेन को ढ़ेर सारे फायदें दिखने चाहिए, तभी आपका दिमाग उस काम को करने की प्रेरणा के लिए बॉडी में ऐसे केमीकल्स रिलीज करेगा। न्यू हैबिट्स क्रिएट करने के दूसरी सांइटिफिकली बात है कि कोई भी एक्शन को आप विदआउट स्किपिंग ए सिंगल डे, इफ यू आर गोइंग टू परफोर्म कंटीन्यूअसली, देट एक्शन विल बिकम योर हैबिट।
प्रश्न यह है कि हम न्यू हैबिट्स कैसे बनाएं? तो देखिए, न्यू हैबिट्स बनाने के लिए मेरे दिमाग में इंग्लिश का एक कोटेशन याद आ रहा
है, जिसे मुझे आपके साथ शेयर करना चाहिए। ‘आई नो वॉट टू डू एण्ड नॉट टू डू इज येट टू नो।’ इस मुहावरे का अर्थ है कि सच्चा ज्ञान तभी प्राप्त होता है जब आप जो जानते हैं उसे व्यवहार में लाते हैं। सही कार्य-पद्धति जानना, उसके पूर्ण महत्व को समझना ही नहीं है, अपितु कार्य व्यवहार में लाना है, जो केवल अभ्यास और आचरण से ही आ सकता
है।
सारांशतः इसका तात्पर्य यह है कि ‘‘मुझे पता है कि मुझे क्या करना है, परन्तु मैं नही करता हूँ इसका मतलब अभी भी आपको पता नहीं है।’’ जो लोग भी यह कहते हैं कि मुझे पता है कि क्या करना है लेकिन यदि वे पता होने पर भी वह कार्य नहीं करते हैं तो इसका मतलब है कि अभी भी उनको इस चीज का पता नहीं।
जैसे कि यदि आपको यह पता है कि सुबह उठकर पन्द्रह से बीस मिनट या आधा एक घंटा योग या प्राणायाम या फिजिकल एक्सरसाइज, कसरत करना आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है लेकिन यदि आप नहीं करते हैं तो इसका मतलब है कि आप इसके बारे में नहीं जानते हैं।
मैं मेरे इंस्टीट्यूट में जब लोगों से पूछता था तो सब लोग कहते थे कि हां, हमें इसकी इंर्पोटेंस पता है, वी नो दी इंर्पोटेंस ऑफ दी फिजिकल एक्सरसाइज लेकिन जब मैं उनसे पूछता था कि क्या आप फिजिकल एक्सरसाइज करते हैं, तो मैक्सिमम लोग कहते थे कि नहीं। 95 प्रतिशत लोगों के हाथ ऊपर नहीं उठते थे, क्योंकि वे नहीं करते थे। तो मैं कहता था कि यदि आपको पता है कि फिजिकल एक्सरसाइज के फायदें क्या हैं, फिर अगर आप नहीं करते हैं, तो इसका मतलब है कि अभी आपको नहीं पता है।
न्यू हैबिट्स दिमाग में कब फॉर्म होंगे? जब आपके दिमाग को उसके जबरदस्त फायदां का पता होगा, तब ही दिमाग यानी आपके ब्रेन से डोपामिन रिलीज होगा, ब्रेन में कुछ ऐसे केमिकल रिलीज होंगे जिससे आपके अंदर मोटिवेशन और इंस्पिरेशन आएगी जो आपकी नई हैबिट फॉर्म करने में मददगार होगी।
ब्रेन को हमेशा क्लीयरटी चाहिए। जब ब्रेन को नई हैबिट फॉर्म करने का फायदा क्लियर कट पता होगा, तब ही आपके अंदर नई हैबिट्स को अडॉप्ट करने के लिए, नई आदतों को ग्रहण करने के लिए, ब्रेन इंस्पिरेशन और मोटिवेशन पैदा करेगा। साथ-साथ कहना यह चाहता हूँ कि लर्न टू डू दी थिंग्स देट नीड टू बी डन। यानी कि उन चीजों को करने की आदत डाल लीजिए जिस चीज की आपके जीवन में जरूरत है, चाहे वह चीज आपको पसंद है या नहीं है। बट आपको आदत तो डालनी ही पड़ेगी। लेकिन उन आदतों को हम कैसे फॉर्म करेंगे, मैं उसी के विज्ञान के बारे में आपसे बातें कर रहा हूँ। तो बड़ी गहराई से सुनने की कोशिश कीजिएगा।
देखिए, पहली बात है कि ब्रेन को नई हैबिट्स के फायदों को बताना है, क्योंकि किसी भी काम के प्रति ब्रेन साइक्लॉजीकली कभी भी एक्शन नहीं लेता है, जब तक कि उसको अपना कोई फायदा नहीं दिखता है। यानी कि आप एक व्यक्ति का नाम भी पूछते हैं कि आपका नाम क्या है या उसके बारे में दो-चार चीजें पूछते हैं, इसके पीछे भी एक कारण छुपा हुआ रहता है। पूछने वाले के ब्रेन को कुछ ना कुछ फायदा दिखता है इसलिए वह सामने वाले के बारे में जानना चाहता है कि वह कौन है, कहां से है, कैसा है, कहां जा रहा है आदि। कुछ ना कुछ हिडन सीक्रेट यानी कि हिडन बेनिफिट्स की चाह उसके दिमाग में रहती है, तभी वह ब्रेन उसके बारे में पूछता है, नहीं तो भला वह किसी के बारे में क्यां पूछेगा। हम जब भी कभी किसी से बात करते हैं, कुछ भी करते हैं, इसके पीछे ब्रेन के अंदर कुछ ना कुछ बेनिफिट की चाहत रहती है, इसीलिए ब्रेन वह एक्शन लेता है।
एक और बात ध्यान से समझिएगा कि ब्रेन लर्नेबल है, मतलब ब्रेन को कुछ भी सिखाया जा सकता है। ब्रेन सदैव
सीखता रहता है, मतलब ब्रेन कुछ भी सीख सकता है। ब्रेन को सिखाया जा सकता है। ऐसा मनोवैज्ञानिक कहते हैं। ब्रेन रिसचर्स कहते हैं कि एनीवन हू कैन डू एनीथिंग, एण्ड एनीवन्स ब्रेन इज डूइंग एनीथिंग, देन एनीवन्स ब्रेन कैन लर्न टू डू द सेम थिंग। यानी कि यदि किसी का ब्रेन किसी एक काम को कर रहा है, तो किसी और व्यक्ति का भी ब्रेन भी उस काम को करना सीख सकता है।
तो पहली बात तो यह है कि न्यू हैबिट्स को अडॉप्ट करने के लिए, कोई काम करने के लिए हमारे ब्रेन को ढ़ेर सारे फायदे दिखने चाहिए, तभी आपका दिमाग उस काम को करने की प्रेरणा के लिए बॉडी में ऐसे केमीकल्स रिलीज करेगा। न्यू हैबिट्स क्रिएट करने का दूसरा आसान तरीका है और वह भी सांइटिफिकली है और वह यह है कि कोई भी एक्शन को आप विदआउट स्किपिंग ए सिंगल
डे, इफ यू आर गोइंग टू परफोर्म कंटीन्यूअसली, देट एक्शन विल बिकम योर हैबिट।
किसी भी कार्य को कंटीन्यूअस 21 दिन तक, बिना एक दिन भी मिस किए हुए अगर आप करते हैं तो आपके ब्रेन में एक हैबिट्यूल पैटर्न बन जाएगा और आगे अपने आप होने लग जायेगा। उसकी पुनरावृति अपने आप होगी। उसके लिए हमें कोई एफर्ट करने की जरूरत नहीं रहेगी। वह हमारी हैबिट में आ जाएगा। यानी कि सबकॉन्शियस माइण्ड में ऑटो मोड में चला जायेगा। मतलब अपने आप चीजें होने लग जाएंगी क्योंकि अवचेतन मन में हमारी सारी हैबिट्स स्टोर रहती हैं।
और
खास बात
है कि
आपके जीवन
में जो
कुछ भी
घटित हो
रहा है,
नब्बे प्रतिशत
उसके पीछे
आपकी हैबिट्स
की ही
करामात है।
दस प्रतिशत
आपके चेतन
मन का
प्रभाव है
अर्थात् आप
कंशियस होकर
जो सोचते
हैं, विचार
करते हैं
और फिर
करते हैं,
उसका प्रतिफल
रहता है,
जिसे होशपूर्ण
जीना कहते
हैं। आप
यह समझ
लीजिए और
मनोवैज्ञानिक भी
कहते हैं
कि व्हाट
एवर यू
हैव टुडे,
द बाइक
यू हैव,
द कार
यू हैव,
द जॉब
यू हैव,
द पर्सनलिटी
यू हैव,
द मनी
यू हैव,
द हाउस
यू हैव,
द फैमिली
मैम्बर्स यू
हैव, एनीथिंग
एनीबॉडी यू
हैव इन
लाइफ इज
द रिजल्ट
ऑफ प्रोग्रामिंग
ऑफ योर
सबकंशियस माइण्ड।
तो आप जो भी करते हैं वह सब आपके अवचेतन मन की प्रोग्रामिंग का ही परिणाम है। आपके जीवन में जो कुछ घटित हो रहा है, घटित हो चुका है और जो कुछ भी घटित होने वाला है, यह प्रत्येक मनुष्य के अवचेन मन के स्तर पर होता है और वहीं से यह रेगुलेट करता है; जैसे हम रेगुलेटर से फैन को कंट्रोल करते हैं। इसी तरह से हमारी हैबिट्स रेगुलेट होती हैं। तो न्यू हैबिट्स को फॉर्म करने के लिए मैंने पहली बात बताई कि कोई भी एक्शन को आप इक्कीस दिनों तक कण्टीन्युअसली करें, एक दिन भी मिस किए बगैर तो यह आपके अवचेतन मन में स्टोर हो जायेगा और आपकी हैबिट बन जायेगा।
लेकिन लोगों के लिए इक्कीस दिन नियमित करना भी बहुत बड़ा चैलेंज होता है। तो आप कोई ट्रेनर, कोई संग या कोई ग्रुप या कोई क्लासेस जॉइन कर लीजिए ताकि रेगुलरली आप इक्कीस दिन या तीस दिन या पैन्तालिस या तीन महीने तक कंटीन्यूअसली विदाउट मिसिंग ए सिंगल डे, आप सफलतापूर्वक नियमित एक्शन पूरा कर सकें। उस अवधि के बाद आप देखेंगे कि आपके अंदर नई हैबिट आ जाएंगी। ग्रुप में करने से नियमितता बनी रहती है।
ऑलवेज रिमेंबर देट न्यू हैबिट्स हार्ड टू कम बाय बट ओल्ड हैबिट्स आर हार्ड टू गो बाय।
नई आदतें डालना बहुत ही कठिन मालूम पड़ता है तो पुरानी आदतों को छोड़ना भी कठिन होता है। ये दोनों एक दूसरे की पूरक हैं। न्यू हैबिट्स को फॉर्म करना मतलब पुरानी आदतों को छोड़ना। इसके लिए संकल्प शक्ति चाहिए। यदि अकेले नहीं कर सकते तो किसी गुरु के पास जाएं या कोई क्लास जॉइन कर लें। यदि आप वहां जाते हैं तो आपको सहायता मिल सकती है। ग्रुप में एक मोटिवेशन एनर्जी मिलेगी। योग मेडिटेशन करते हैं तो कंटीन्यूअस जॉइन करें।
संकल्प और रिपिटिशन से
नई आदतां का विकास
राहों
पर आपको
ही चलना
है, आपको
ही अपनी
अंतरात्मा से
संकल्प लेना
है कि
मुझे करना
ही करना
है। मैं
आप लोगों
के साथ
हूँ, आप
मुझे सुनते
रहें, प्रश्न
रखें। मैं
आपको एक-एक
चीज की
साइकोलॉजीकली, स्प्रिच्युअली
हर प्रकार
से आपके
सामने रखूंगा।
उस पर
खरा उतरने
के लिए
आप बस
हिम्मत करो।
एक कदम
उठाओ, हजार
कदम तक
पहुंचने के
लिए। मैं
आपके साथ
हूँ। आप
आगे बढ़ोगे,
पक्का है।
बस आप
हमेशा पॉजिटिव
एन्वायरन्मेंट के
साथ कनेक्ट
रहो। स्प्रिच्युअल
कण्टेण्ट का
सेवन करते
रहो। स्प्रिच्युअल
कण्टेण्ट बहुत
ही पॉवरफुल
होती है।
यह आपके
चित्त को
शुद्ध करती
है।
आप खुद स्वयं से एक संकल्प लें कि चाहे कुछ भी हो जाए, किसी भी कीमत पर मैं इक्कीस दिन या तीस दिन तक कंटीन्यूअसली इस एक्शन को परफॉर्म करने वाला हूंँ। जैसे भी हो, मैं यह करूंगा ही करूंगा। हमेशा खुद को संकल्प याद दिलायें और जब आप करेंगे तो धीरे-धीरे वह एक्शन अपने आप होता चला जाएगा। उसके लिए आपको अलग से याद दिलाना या एफर्ट करना नहीं पड़ेगा। एफर्टलेसली काम होते चला जायेगा। संकल्प साकार हो जायेगा।
पहले मैं माइण्ड स्टडी ट्रेनर था, अपने इंस्टीट्यूशन में मैं लोगों को ट्रेण्ड किया करता था। बहुत सारे स्टूडेंट को
कंसंट्रेशन के बारे में बताता था और उनको कंसंट्रेशन सर्किल चार्ट भी दिया करता था। कंसंट्रेशन सर्किल चार्ट देने के पहले मैं उनको बहुत सारी बातें समझाता था कि देखिए, यदि मैं आपको यह एक्शन करने को दूंगा तो आप मेरी बातों से प्रेरित होकर तीन-चार या पांच-सात दिन ही करेंगे और अगेन यू विल कम बैक टू योर नॉर्मल रूटीन। पहले वाली जो रूटीन है उसी में लग जायेंगे क्योंकि आपने मुझे कॉन्शियस माइण्ड से तो अभी समझ लिया लेकिन आपका सबकॉन्शियस माइण्ड अभी भी नहीं समझा है। क्योंकि सबकॉन्शियस माइण्ड का समझने का तरीका है पुनरावृत्ति।
कोई भी काम को हम जब रिपीटेडली करेंगे तो
सबकॉन्शियस माइण्ड के अंदर चला जाएगा। और भी कई तरीके है लेकिन उनमें से एक यह तरीका है- रिपिटिशन। इसीलिए यह कहा गया है कि रिपीटेशन इज दी मदर ऑफ आ स्किल्स। कोई
भी काम को आप बार-बार, बार-बार दोहराएंगे तो यह आपके लिए मदर स्किल साबित होता है, क्योंकि पुनरावृत्ति सभी कौशलों की जननी है। निरन्तर अभ्यास तंत्रिका कनेक्शन को सुदृढ़ करने, मांसपेशियों की स्मृति का निर्माण करके आत्मविश्वास विकसित करके किसी भी क्षमता में सिद्धता हासिल करने का आधार है।
आप जाइए और देखिए, कोई भी आध्यात्मिक प्रैक्टिस में, तो आप देखेंगे कि कोई जप दिया जाए, मंत्र दिया जाए कि तुम बार-बार, बार-बार दोहराओ, ऐसा करते-करते-करते अवचेतन मन में, आपके राइट ब्रेन में एक लिंक बन जाता है। जैसे कोई एक तार का लिंक समझ लीजिए, उस तार में एक तार जोड़ा, फिर एक और तार जॉइन किया और फिर एक तार जॉइन किया, धीरे-धीरे करके लगातार तारों का गुच्छा बन जाता है। इसी तरीके से धीरे-धीरे करके आपकी हैबिट इतनी तगड़ी हो जाती है कि उसको तोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है।
इस तरह से आध्यात्मिक क्षेत्र में भी ध्यान करना या जप करना या मंत्र जप करना आदि जो भी आपको विधि दी गई है, उसको नियमित करते-करते-करते आपकी एक हैबिट बन जाती है, आप उस रूटीन में आ जाते
हैं और आप करते रहते हैं, करते रहते हैं और वह हैबिट धीरे-धीरे, धीरे-धीरे आपको स्व बोध तक ले जाती है। गुरु जब साधक को देखता है कि वह काफी ऊपर आने लग गया है तो वे ऐसा कुछ करता है, साधक को बताता है, गाइड करता है, समझाता है कि उसकी सारी आदतें, सारे तार गल जाते हैं, छूट जाते हैं। यानी कि सारे तार रुपी लिंक मिट जाते हैं। तो आपको संकल्प लेना है कि मुझे करना ही करना है, और धीरे-धीरे स्वतः आदत विकसित हो जायेगी।
तुम तीन दिनों तक करोगे और बाद में नहीं करोगे क्योंकि नहीं करने की आदत है। लेकिन अब तुम्हें एक नई आदत बनानी पड़ेगी और वह आदत है करने की। नहीं करने की आदत को अब करने की आदत बनानी पड़ेगी। अब तुम सोच लो, तुम्हारे सामने है, नहीं करने की आदत और करने की आदत। दोनों में से तुम्हें चुनना है। करने की आदत स्टेप बाय स्टेप तुम्हे जीवन में ऊपर लेकर जाएगी। नहीं करने की आदत तुम्हे जहां हो वहीं रख देगी, बल्कि स्टेप बाय स्टेप जीवन में तुम्हें पीछे ही लेकर जाएगी।
इसी प्रकार, नई आदत को डेवलप करने के लिए कुछ थेरेपी भी होती हैं जैसे कि नेचरोथेरेपी, न्यूरोथेरेपी, हिप्नोथेरेपी आदि कुछ थेरेपी के द्वारा भी नई आदतें विकसित की जाती है। हमारे ब्रेन के अंदर जो न्यूरल पथ्स होते हैं, हमारे बिहेवियर का जो न्यूरोलॉजिकल स्ट्रक्चर होता है, उस बिहेवियर के स्ट्रक्चर में यदि आप परिवर्तन कर देते हो तो एक नया स्ट्रक्चर बन जाता है। यदि आप न्यू बिहेवियर बनाना चाहते हो तो आपको न्यू न्यूरोलॉजिकल स्ट्रक्चर बनाना पड़ता है। विल डेवलप इनकोडर इंटीरियर ब्रेन और यह आपकी बिहेवियर बन जाती है तो जो वर्तमान स्ट्रक्चर है उस स्ट्रक्चर को आप जैसे ही तोड़ते हैं, नया डिकोड करते हैं तो न्यू स्ट्रक्चर बनेंगे तो फिर न्यू एक्सपीरियंस अपने जीवन में होंगे।
लेकिन इन राहों पर आपको ही चलना है, आपको ही
अपनी अंतरात्मा से संकल्प लेना है कि मुझे करना ही करना है और मैं आप लोगों के साथ हूँ, आप मुझे सुनते रहें, प्रश्न रखें। मैं आपको एक-एक चीज को साइकोलॉजीकली, स्प्रिच्युअली हर प्रकार से आपके सामने रखूंगा। उस पर खरा उतरने के लिए आप बस हिम्मत करो। एक कदम उठाओ, हजार कदम तक पहुंचने के लिए। मैं आपके साथ हूँ। आप आगे बढ़ोगे, पक्का है आप आगे बढ़ोगे। बस आप हमेशा पॉजिटिव एन्वायरन्मेंट के साथ कनेक्ट रहो। स्प्रिच्युअल कण्टेण्ट का सेवन करते रहो। स्प्रिच्युअल कण्टेण्ट बहुत ही पॉवरफुल होती है। यह आपके चित्त को शुद्ध करता है।
आपके ब्रेन के अंदर एक स्पिरिचुअल न्यूरो पथ क्रिएट करती है, आपको स्व तक लेकर जाने के लिए, और एक दिन आप उस परम पुरुष परमात्मा को जान लेते हैं, उससे एक हो जाते हैं, मर्ज हो जाते हैं और परम शांति, परम आनंद को प्राप्त करते हैं।
अहंरत सेवा फाउण्डेशन लोगों के शारीरिक, मानसिक,
सामाजिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए समर्पित
एक गैर लाभकारी संगठन है।
लोगों के जीवन को बेहतर बनाने और प्रभावी ढंग से
कार्य जारी रखने हेतु अपना आर्थिक सहयोग प्रदान करे।
आपका योगदान सदा जनकल्याण के लिए समर्पित है।
लिंक पर क्लिक/टच करे और दान करे-
Donate Fund
https://bit.ly/arhantdonation
Leave a Comment