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यात्रा श्री सतगुरु अरहंत की..........

        सतगुरु अरहंत के बुद्धत्व की घटना समूचे आध्यात्मिक जगत के इतिहास में एक नए अध्याय का आगाज मालूम पड़ता है। आपके शरीर का जन्म पूर्वोतर भारत के असम राज्य के तिनसुरिखया जिले के रंगजन नामक गाँव में हुआ। आपको 21 अप्रैल 2021 को ज्ञान प्राप्त हुआ। आप शास्त्र, शास्त्रीयता और कथा-वाचन से परे अपने अनुभव आधारित बोध, विवेक एवं ज्ञान द्वारा आत्म- साक्षात्कार हेतु साधकों का दिशा-निर्देश करते हैं। आपकी वाणी में तार्किकता, आधुनिकता, वैज्ञानिकता और विवेकशीलता का पुट है। आप की सहजता, सरलता, सौम्यता और संपूर्णता से सराबोर जान बरबस लाखों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। लेकिन काल्पनिक कथाओं एवं धार्मिक पाखण्डों और विरोधामास के खण्डन-मण्डन में आपका स्वर और तेवर मुखर और विद्रोही हो जाता है। आपकी शैली आधुनिक है परन्तु वैज्ञानिक-परम्पराओं का भी आपके मन में खासा-सम्मान है।    

        मनोविज्ञान के जटिल सिद्धांतो को बोधगम्य बनाते हुए आप साधना के विभिन्न मार्गों मसलन-ध्यान, ज्ञान, भक्ति, कर्मयोग, जप, मंत्र, योग, प्राणायाम, सेवा, शक्तिपात, दोक्षा, नृत्य जैसे विविध तरीकों का इस्तेमाल करते हुए साधना की एक समग्र शैली के प्रस्तोता हैं। आप परम्परा और आधुनिकता का एक बेजोड़ वैज्ञानिक मॉडल प्रस्तुत करते हैं। इक्कीसवीं शताब्दी में आज चहुँओर धार्मिक कट्टरता, संघर्ष, द्वंद्ध और वैमनस्य है। इसे देखते हुए आध्यामिक आप सभी धर्म, सम्प्रदायों, आध्यात्मिक मार्गो एवं साधना-पद्धतियों के मध्य एक ऐसी मनोभूमि को निर्मित करने का सार्थक प्रयास कर रहे हैं जहाँ पूरब और पश्चिम, धर्म और विज्ञान, शरीर और आत्मा एवं संसार और माया जैसे सारे भेद और भ्रम समाप्त हो जाते हैं।

        आप स्वयं गृहस्थ हैं। आपकी पत्नी हैं और एक बच्चा भी है जो आपकी इस यात्रा के सहभागी है। फलतः आपकी देशना में पारिवारिक मूल्यों एवं सामाजिक संबंधों के प्रति गहरी संवेदनशीलता एवं सम्मान हैं। सतगुरू अरहंत वर्तमान समय में मानवता के भविष्य हैं, एक आशा के प्रतीक और समाधान का स्वर भी। आध्यात्मिक जागृति को भौतिक-विकास, सामाजिक-कल्याण एवं पर्यावरण जागरूकता जैसे विविध मसलों के बिना आप अधूरा मानते है। आपका अरहंत दर्शन समावेशिता और समग्रता का संश्लिश्ठ संस्करण है।

        सतगुरु अर्हंत मानवतावादी, आध्यात्मिक गुरू और गहन ज्ञान के स्वामी हैं। आप शांति और सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों के प्रबल समर्थक हैं। उद्देश्य की गहन समझ और आध्यात्मिक अंतर्दृश्टि के साथ, सतगुरु अर्हंत ने अनेक आत्माओं का आंतरिक जागृति और करुणा का मार्ग प्रशस्त किया है। आपने गृहस्थ होकर भी सपत्नीक अपना जीवन मानव कल्याण को समर्पित कर दिया है और ऑफलाईन और ऑनलाईन निरन्तर मार्गदर्शन कर रहे है। इस हेतु आपने अर्हंत सेवा फाउंडेशन की स्थापना की है।

        आप साधकों की कुंडलिनी षक्ति को जगाने  के लिए उन्हें शक्तिपात  इनिशिएशन (शक्तिपात दीक्षा)  देते है। आप विभिन्न प्रकार की ध्यान तकनीकों, साँस लेने के व्यायाम, योग मुद्राओं और  निर्देशित  ध्यान  भी  सिखाते  है। आप साधकों को परम प्राप्ति के  लिए मार्गदर्शन करते  है,  जिसे  कहा   जाता है-आत्म-साक्षात्कार, ईश्वर-प्राप्ति, शुद्व-बुद्धिमत्ता, ब्राह्मण, अद्वैत, एकीकृत-क्षेत्र, कृष्ण-चेतना, शिवचेतन आप  जो चाहें नाम दे सकते है  या नाम नहीं भी दे सकते है। 

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