हमेशा आनन्द के नशे में कैसे झूमे?
क्या
जरूरत
है, बाहर से कुछ सेवन करने की। ध्यान करो, तो हर रोज अंदर ही अंदर रिलीज हो जायेगी आनंदामाइड। मैं कहता हूँ कि एक बार तुमने परमात्मा को पा लिया, एक बार परमात्मा के नशे में डूब गये, एक बार एक ड्रॉप भी चख ली तो पूरे जीवन तुम परमात्मा के नशे में रहोगे। लेकिन बाहर से कुछ भी लेकर सेवन करोगे, चाहे वह टैबलेट हो या नशीले पदार्थ, उनका असर तो दो-चार घंटे ही रहेगा और फिर चला जायेगा।
नमस्कार। अमेरिकन वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया तो देखा कि जब हम ध्यान में बैठते हैं, ध्यान करते हैं, तो ब्रेन के अंदर आनंदामाइंड रसायन रिलीज होता है। आनन्द शब्द उनको नहीं मिला तो उन्होंने इसे संस्कृत से लिया। ध्यान करने वाला हमेशा आनंदित रहता है, प्रसन्नचित्त रहता है, चीअरफुल रहता है, ब्लेस रहता है हमेशा। तो आनन्द का मतलब है डेलाइट, ब्लेस, लेकिन एग्जेक्ट उपयुक्त वर्ड नहीं डाल पायें, इसलिए उन्होंने इसे आनंदामाइड नाम दिया, यानी ध्यान में जो केमिकल रिलीज होता है उस केमिकल, उस हार्मोन का नाम दिया आनंनदमाइड।
उन वैज्ञानिकों ने आनंद की स्थिति भी बताई है कि आनंदामाइंड जब किसी के शरीर से क्रिएट होता है और रिलीज होता है, उस व्यक्ति से जब इसकी तरंगे निकलती है तो वे ऐसे आनंदित होते है, जैसे कोई गांजा पीकर चीयरफुल होता है। सारी एंजाइटी, टेंशन, ओवर थिंकिंग सब दूर, एक दम अलग हो जाता है वह। वैज्ञानिक कहते हैं कि देखो, गांजा पीने के बाद, किसी के अंदर जो स्थिति आती है, वह अंदर बहुत चीयरफुल, खुश टेंशन फ्री फिल करता हैं, वैसी ही स्थिति ध्यान करने वालों की होती है।
जब वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया और यह पाया तो उन्होंने प्लान किया कि हम ऐसा केमिकल्स डेवलप करते हैं, जिसे कोई भी खायेगा तो वह वैसी ही अवस्था में रहेगा, नशे में रहेगा मतलब आनन्द में रहेगा। इसलिए उन्होंने आनंदामाइड नामक टैबलेट बनाई। आप इंटरनेट पर जाकर आनंदमयी टैबलेट टाइप करके देख सकते हैं।
अब आप लोग बताइए, क्या जरूरत है, टैबलेट खा-खाकर आनंदित होना। ये तो एक एडिक्शन है ना। एक दुःख से छुटकारा पाने के लिए दूसरा पकड़ा। इधर से यह छोड़ा और उधर उस टैबलेट के एडिक्टेड हो गए। हालांकि वे कह रहे है कि यह टैबलेट खाने से आपके जीवन में हानि नहीं है, दारू, गाजा, भांग खाने से हानि होती है। हमारे समाज में और भी कई ऐसी चीजें है जिसके सेवन से आप अंदर ही अंदर आनंदित रहेंगे, झूमेंगे, खुश रहेंगे, कुछ घंटे के लिए, लेकिन उनके साइड इफेक्ट के बहुत बूरे प्रभाव पड़ते हैं, आपके शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, सामाजिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में भी। लेकिन वैज्ञानिक कहते हैं कि ऐसी कुछ टैबलेट है जैसे कि आनंदामाइड जिसे खाने से कोई लॉस नहीं है और आप आनंदित रहेंगे।
लेकिन मैं कह रहा हूँ कि क्या जरूरत है, बाहर से कुछ सेवन करने की। ध्यान करो, तो हर रोज अंदर ही अंदर रिलीज हो जायेगी आनंदामाइड। मैं कहता हूँ कि एक बार तुमने परमात्मा को पा लिया, एक बार परमात्मा के नशे में डूब गये, एक बार एक ड्रॉप भी चख ली तो पूरे जीवन तुम परमात्मा के नशे में रहोगे। लेकिन बाहर से कुछ भी लेकर सेवन करोगे, चाहे वह टैबलेट हो या नशीले पदार्थ, उनका असर तो दो-चार घंटे ही रहेगा और फिर चला जायेगा। दारू पिया 200 रुपया का खरीद कर और पेशाब करके निकाल दिया। दूसरे दिन फिर 200 का खर्चा। रोज कहां से रुपये इकट्ठा करोगे कि दारू खरीदूं और पियूं। इसमें पूरा जीवन खराब हो जाता है, परिवार बिखर जाते हैं। जीवन की बर्बादी का कारण बन जाता है।
लेकिन ध्यान में बिना टैबलेट, बिना दारू, बिना गांजा के ही, वह नशा अंदर आ जाता है इसीलिए ध्यानी झूमते रहते हैं, नाचते रहते हैं, गाते रहते हैं, खुश रहते हैं, कोई गाली भी दे दें, कोई कुछ भी बोले, तो भी उसे पर ज्यादा कैलकुलेशन नहीं करते हैं। उनकी चेतना इतनी विकसित हो जाती है कि उनको समझ रहती है कि पृथ्वी पर यह सब क्यो हो रहा है और वे अंदर ही अंदर आंनदित रहते हैं। वो चाहकर भी दुःखी हो ही नहीं पाते, उस आत्म-स्थिति में पहुंचने के बाद।
आज मैं आपसे जो कुछ भी शेअर कर रहा हूँ, पृथ्वी पर अगर कोई भी व्यक्ति इन बातों को समझ जाएं, अगर अपने जीवन में अमल कर लें तो धीरे-धीरे देखेंगे कि ये सारे मेडिकल्स की जो इतनी नीड हो रही है, डॉक्टर्स की जो इतनी नीड हो रही है, यह सब धीरे-धीरे कम हो जाएंगी। हो सकता है मेरी ये बातें सुनकर, डॉक्टर्स मुझे पसंद नहीं करेंगे। बट दिस इज दी फैक्ट देट आई एम टेलिंग यू और आप लोग सुनकर भी नहीं करेंगे, तो ये आपकी गलती है।
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